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लोककथा संग्रह 2

लोककथ़ाएँ


सबसे अच्छी इच्छा: डेनमार्क की लोक-कथा

कुछ समय पुरानी बात है कि डेनमार्क देश में तीन भाई रहते थे। यह तो पता नहीं कि यह सब कैसे हुआ पर एक बार उन तीनों भाइयों को एक एक वरदान मिला। दोनों बड़े भाइयों ने तो यह वरदान माँगने में ज़रा भी देर नहीं की। उन्होंने तुरन्त ही यह इच्छा प्रगट की कि वे जब भी अपनी जेब में हाथ डालें तो उन्हें उसमें धन मिल जाये, यानी कि जब भी उनको पैसे की जरूरत हो तो उनकी जेब में हमेशा पैसे रहें।

लेकिन सबसे छोटा भाई जिसका नाम बूट्स था, उसने किसी दूसरे प्रकार की ही इच्छा प्रकट की। उसकी इच्छा थी कि जो भी स्त्री उसे देखे वही उसे प्रेम करने लगे। उन सबकी इच्छा पूरी हुई। पर कैसे इसके लिये अब आगे की कहानी सुनो –

इन इच्छाओं के पाने के बाद दोनों बडे, भाइयों ने दुनियाँ देखने का प्रोग्राम बनाया। बूट्स ने उनसे पूछा कि क्या वह भी उनके साथ दुनियाँ घूमने चल सकता था। परन्तु उन्होंने उसकी एक न सुनी और बोले — “हम तो जहाँ भी जायेंगे राजकुमार समझे जायेंगे मगर तुम एक बेवकूफ लड़के समझे जाओगे। तुम्हारे पास तो एक पेनी भी नहीं है और न कभी होगी। फिर तुम्हारी देखभाल भी कौन करेगा”
पर बूट्स ने जिद की “कुछ भी सही, मैं तुम्हारे साथ ही चलूँगा। ”
काफी प्रार्थना के बाद वे दोनों बड़े भाई उसको अपने साथ ले चलने के लिये मान गये पर साथ में उन्होंने एक शर्त लगा दी कि वह उनका नौकर बन कर उनके साथ चलेगा। बूट्स मान गया सो वे तीनों चल पड़े।
एक दो दिन का सफर करने के बाद वे लोग एक सराय में आये।

दोनों बड़े भाइयों के पास तो खूब पैसा था सो उन्होंने बड़े शानदार खाने का आर्डर दिया, जैसे मुर्गा, मछली, गोश्त, ब्रान्डी आदि, मगर बूट्स को किसी ने अन्दर भी नहीं जाने दिया। उसे गाड़ी घोड़े और सामान की देखभाल के लिये सराय के बाहर ही छोड़ दिया गया।

उसने घोड़ों को अस्तबल में बाँधा, गाड़ी को धोया और फिर घोड़ों के खाने के लिये घास ले कर गया। जब वह यह सब कर रहा था तो सराय के मालिक की पत्नी उसे खिड़की से देख रही थी।

उसकी आँखें उस सुन्दर लड़के के चेहरे से ही नहीं हट पा रही थीं हालाँकि वह तो मेहमानों का केवल नौकर ही था। जितनी अधिक देर तक वह उसे देखती रही उसे वह उतना ही अधिक सुन्दर दिखायी दे रहा था।

सराय का मालिक बोला — “अरे, तुम वहाँ खिड़की पर खड़ी खड़ी क्या कर रही हो, ज़रा जा कर देखो कि रसोई में खाना ठीक से बन रहा है कि नहीं। हमारे शाही मेहमान खाने का इन्तजार कर रहे हैं। ”

पत्नी उधर से अपनी आँख हटाये बिना ही बोली — “ओह, अगर उनको खाना पसन्द नहीं भी आया तो न सही, मैं क्या करूँ। मैंने अभी तक इतना सुन्दर लड़का पहले कभी नहीं देखा। क्यों न हम उसको रसोई में बुला कर कुछ अच्छा सा खाना उसको खाने के लिये दे दें। ऐसा लगता है कि बेचारा काफी मेहनत करता है। ”
“क्या तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है? रसोई में जाओ और अपना काम देखो। ”

पत्नी ने पति से लड़ना ठीक नहीं समझा पर उसे एक विचार आया और वह एक कीमती चीज़ अपने ऐप्रन में छिपा कर सराय से बाहर आयी। यह कीमती चीज़ थी एक कैंची। यह एक जादुई कैंची थी। इस जादुई कैंची का काम यह था कि इसको हवा में चलाने से जो भी कपड़ा जिस रंग में भी सोचो उसी रंग में कट जाता था।

वह बूट्स के पास आयी और बोली — “यह कैंची तुम रखो क्योंकि तुम बहुत सुन्दर हो। इस कैंची की खासियत यह है कि इसको हवा में चलाने से जो भी कपड़ा जिस रंग में भी सोचो उसी रंग में कट जाता है। ”
बूट्स ने उसे नम्रता से धन्यवाद दिया और उससे वह कैंची ले कर अपनी जेब में रख ली।
बूट्स के भाइयों का जब खाना खत्म हो गया तो वे फिर चलने के लिये तैयार हुए और बूट्स गाड़ी के पीछे नौकर की जगह पर खड़ा हुआ।
फिर वे एक दूसरी सराय में आये। वे दोनों तो सराय के अन्दर चले गये और बूट्स बाहर ही सामान आदि की देखभाल करने के लिये खड़ा रहा।
भाइयों ने बूट्स को बताया कि “अगर कोई तुमसे यह पूछे कि तुम किसके नौकर हो तो तुम कहना कि “मैं दो विदेशी राजकुमारों का नौकर हूँ। ”
“ठीक है। ”
इस बार भी वही हुआ जो पिछली सराय में हुआ था। सराय के मालिक की पत्नी ने जब उसे देखा तो वह तो बस उसे देखती ही रह गयी।

पति ने जब अपनी पत्नी को बाहर झाँकते देखा तो उसने भी उससे कहा — “वहाँ तुम दरवाजे पर क्यों खड़ी हो? जाओ और जा कर अपनी रसोई देखो। हमारी सराय में रोज रोज विदेशी राजकुमार नहीं आया करते। ”

और जब वह अन्दर नहीं गयी तो वह उसको उसकी गरदन पकड़ कर अन्दर ले गया। इस बार सराय के मालिक की पत्नी ने उसको एक जादुई मेजपोश दिया जिसकी खूबी यह थी कि उसे बिछाने पर जो भी खाना सोचो वही खाना उस मेजपोश पर आ जाता था।

तीसरी सराय में भी ऐसा ही हुआ। जैसे ही उस तीसरी सराय के मालिक की पत्नी ने बूट्स को देखा तो वह भी उसकी तरफ आकर्षित हो गयी। उसने उसको लकड़ी की एक टोंटी दी जिसकी खूबी यह थी कि उसे खोलने पर जो भी पीने की चीज़ चाहो वही मिल सकती थी।
बूट्स ने उसको भी नम्रता पूर्वक धन्यवाद दिया और वह टोंटी उससे ले कर अपनी जेब में रख ली। एक बार फिर से वे लोग कड़ी सरदी में अपने सफर पर चल दिये।

अबकी बार वे एक राजा के महल में पहुँचे। दोनों बड़े भाइयों ने अपना परिचय बादशाह के लड़कों के रूप में दिया क्योंकि उनके पास खूब पैसा था और बहुत कीमती कपड़े थे। राजा ने उनका बहुत ज़ोर शोर से स्वागत किया और राजमहल में उन्हें इज़्ज़त से ठहराया गया।
मगर बूट्स बेचारा उन्हीं फटे कपड़ों में था जिनको पहन कर वह घर से निकला था। उस बेचारे की जेब में तो एक पेनी भी नहीं थी।

उसको राजा के नौकरों ने नाव में सवार करा कर एक टापू पर भेज दिया क्योंकि वहाँ का यही नियम था कि जो भी गरीब या भिखारी वहाँ आता उसको उसी टापू पर भेज दिया जाता।

राजा ने यह नियम इसलिये बना रखा था क्योंकि वह अपने स्वादिष्ट और अच्छे खाने और पहनने के बढ़िया कपड़ों को गरीबों की नजर से गन्दा नहीं करना चाहता था।
बचा हुआ खाना जो केवल ज़िन्दा रहने के लिये ही काफी होता था भिखारियों से और गरीबों से भरे उस टापू पर भेज दिया जाता था।
घमंडी भाइयों ने अपने भाई को ऐसी जगह जाते देखा मगर अनदेखा कर दिया, बल्कि वे लोग खुश ही हुए कि अच्छा हुआ उन्हें उससे छुटकारा मिल गया।

जब बूट्स उस टापू पर पहुँचा और उसने वहाँ के लोगों की हालत देखी तो उसे अपनी तीनों कीमती चीज़ों की याद आयी। सबसे पहले उसने कैंची निकाली और उसे हवा में चलाना शुरू कर दिया और हवा में से बढ़िया बढ़िया कपड़े कट कट कर गिरने लगे।

जल्दी ही भिखारियों के पास राजा और उन घमंडी भाइयों से भी अधिक कीमती और सुन्दर कपड़े आ गये। उन कपड़ों को पहन कर वे सब बहुत खुश हुए और नाचने लगे पर वे अब अपनी भूख के लिये क्या करें।
अब बूट्स ने अपना मेजपोश निकाला और उसे बिछा दिया। अब क्या था नाम लेते ही मेजपोश पर तरह तरह के स्वाददार खानों का ढेर लग गया।

भिखारियों ने ऐसा खाना कभी ज़िन्दगी में नहीं देखा था। उन्होंने खूब खाया और खूब खिलाया। ऐसी दावत तो राजा के महल में भी शायद कभी नहीं हुई होगी जैसी उन भिखारियों के टापू पर हो रही थी।
“अब तुम्हें प्यास भी लग रही होगी, सो लो जो चाहो पियो। ” कह कर बूट्स ने अपनी लकड़ी की टोंटी निकाली और उसे खोल दिया। तरह तरह की शराब उसमें से निकलने लगी।

इस प्रकार भिखारियों ने बूट्स की मेहरबानी से वह सब कुछ पाया जो किसी राजा को भी नसीब होना मुश्किल था। क्या तुम सोच सकते हो कि यह सब कुछ देख कर वहाँ क्या खुशियाँ मनायीं जा रही होंगी?

अगली सुबह राजा के नौकर भिखारियों के लिये खाना ले कर आये। वे दलिया आदि की खुरचनें, कुछ पनीर के टुकड़े और डबल रोटी के सूखे टुकड़े लाये थे। लेकिन आज भिखारियों ने उनको छुआ तक नहीं।
यह देख कर राजा के नौकरों को बड़ा आश्चर्य हुआ कि जिस खाने के ऊपर वे रोज टूट पड़ते थे आज वे उसको छूने भी नहीं आये।

लेकिन इससे भी ज्यादा आश्चर्य उन्हें तब हुआ जब उन्होंने देखा कि सारे भिखारी राजकुमारों जैसे शाही कपड़े पहने हुए हैं। राजा के नौकरों को लगा कि वे शायद किसी गलत टापू पर आ गये हैं। पर नहीं, यह तो वही टापू था जिस पर वे रोज आते थे।

फिर उन्होंने सोचा कि शायद यह कल वाले भिखारी की करामात रही हो। पर यह सब उसने कैसे किया होगा यह उनके दिमाग में नहीं आया। वे महल लौट गये और उन्होंने टापू के बारे में कई सारी बातें राजा को बतायीं।
एक बोला — “उनको इतना घमंड हो गया है कि उन्होंने आज के खाने को छुआ तक नहीं। ”

दूसरा बोला — “उस कल वाले लड़के ने सबको शाही कपड़े पहनने को दे दिये हैं। टापू पर रहने वालों का कहना है कि उस लड़के के पास एक ऐसी कैंची है जो हवा में चलाने से सिल्क और साटन के कपड़े काटती है। ”
तीसरा बोला — “उनके पास बहुत तरह का खाना और शराब पड़ी थी इसलिये उन्होंने यह खाना छुआ तक नहीं। ”
एक और बोला — “और मैंने तो उस नये भिखारी की जेब में एक टोंटी जैसी चीज़ भी देखी थी। ”

राजा के एक बेटी थी। उसके कानों में भी ये बातें पड़ीं तो उसके मन में इस लड़के को देखने की इच्छा हो आयी कि अगर वह कैंची उसे बेच दे तो वह भी सिल्क और साटन के कपड़े पहन पायेगी।
उसने अपने पिता को चैन नहीं लेने दिया और राजा को उस लड़के को बुलाने के लिये एक आदमी उस टापू पर भेजना ही पड़ा।
जब वह लड़का महल में आया तो राजकुमारी ने देखा कि वह किसी राजकुमार से कम नहीं लग रहा था। उसने पूछा क्या यह सच है कि उसके पास जादू की कैंची है?

बूट्स बोला कि हाँ यह सच है कि उसके पास जादू की कैंची है। उसने अपनी जेब से जादू की कैचीं निकाली और हवा में चलाने लगा। सिल्क, साटन और मखमल के कपड़ों के ढेर लग गये, पीले, हरे, गुलाबी, नीले।
राजकुमारी ने कहा — “यह कैंची हमें बेच दो। तुम जो चाहोगे हम तुम्हें वही देंगे। ”
बूट्स ने कहा — “नहीं, मैं इसे नहीं बेच सकता क्योंकि ऐसी कैंची मुझे दोबारा नहीं मिल सकती। ”
जब वे लोग आपस में सौदेबाजी कर रहे थे तो राजकुमारी के साथ भी वही हुआ जो उन तीनों स्त्र्यिों यानी सराय के मालिकों की पत्नियों के साथ हुआ था।

उसे लगा कि इतना सुन्दर लड़का तो उसने पहले कभी देखा ही नहीं था। उसे लगा कि उस लड़के के बाल पीली साटन से भी ज़्यादा पीले हैं, उसकी आँखें नीली मखमल से भी ज़्यादा नीली हैं और उसके गाल गुलाबी सिल्क से भी ज़्यादा गुलाबी हैं।

वह उसको जाने नहीं देना चाहती थी सो उसने सौदा छोड़ कर उससे कैंची देने के लिये प्रार्थना करनी शुरू कर दी जो बूट्स उसको किसी तरह भी देने के लिये राजी नहीं था। उसने उस लड़के से पूछा कि आखिर तुम्हें इसके लिये चाहिये क्या।

बूट्स ने कहा — “मैं अगर एक रात तुम्हारे कमरे के दरवाजे पर फर्श पर सो जाऊँ तो यह कैंची मैं तुम्हें ऐसे ही दे दूँगा। मैं तुम्हें कोई नुकसान नहीं पहुँचाऊँगा लेकिन अगर तुम्हें मुझसे डर लगे तो तुम अपने भरोसे के दो चौकीदार रख सकती हो और रात भर कमरे में रोशनी भी रहने दे सकती हो। ”

राजकुमारी को इसमें कोई परेशानी नहीं थी। सो बूट्स राजकुमारी के कमरे के दरवाजे के पास फर्श पर रात भर सोया, दो चौकीदार वहाँ रात भर रहे और कमरे में रोशनी रही।

पर राजकुमारी को नींद नहीं आयी क्योंकि वह जब भी अपनी आँखें बन्द करती उसके सामने बूट्स की सूरत नाचने लगती और फिर वह अपनी आँखें खोल लेती। रात भर यही चलता रहा। वह उसे उन सब लड़कों से सुन्दर लग रहा था जो अब तक उससे शादी के उम्मीदवार रह चुके थे।

अगले दिन राजकुमारी ने कैंची ले ली और बूट्स को भिखारियों के टापू पर वापस भेज दिया। अब उसे कैंची से कोई काम नहीं था बस उसके मन में तो बूट्स की सुन्दर सूरत बसी हुई थी।

सो अब उसने उस अच्छे खाने के बारे में सोचा जो उस टापू पर बूट्स ने वहाँ के भिखारियों को दिया था। वह उसकी तह तक भी पहुँचना चाहती थी। सो बूट्स को फिर महल में लाया गया।

जब राजकुमारी ने उन बढ़िया खानों के बारे में उससे पूछा तो उसने उसको मेजपोश के बारे में बताया और साथ में यह भी कहा कि वह उसको बेचेगा नहीं, लेकिन अपनी पुरानी शर्त पर उसको ऐसे ही दे सकता हैं।
राजकुमारी राजी हो गयी और बूट्स पहले दिन की तरह से फिर वैसे ही राजकुमारी के कमरे के दरवाजे के पास फर्श पर सोया।

इस रात राजकुमारी को और भी कम नींद आयी। वह रात भर बूट्स का चेहरा अपनी आँखों के सामने देखती रही और फिर भी उसे रात छोटी लगी। अगले दिन बूट्स ने अपना जादू का मेजपोश राजकुमारी को दे दिया।

राजकुमारी ने राजा से बूट्स को महल में रखने की जिद की तो राजा ने कहा — “किसी चीज़ की कोई हद भी तो होती है, हम इस तरीके से उसे यहाँ नहीं रख सकते। उसे टापू पर जाना ही होगा। ”

और अगले दिन राजकुमारी की इच्छा के खिलाफ उसको फिर उसी टापू पर भेज दिया गया। जाते जाते राजकुमारी से उसने कहा कि उसको उन दो राजकुमारों से अच्छा व्यवहार करना चाहिये जो उनके महल में ठहरे हुए हैं।

अबकी बार राजकुमारी को उसकी शराब की याद आयी तो वह फिर अपने पिता के पास गयी और बोली — “पिता जी, उसके पास अभी एक चीज़ और है जो मेरे पास होनी चाहिये इसलिये मेहरबानी करके उसे एक बार और बुला दीजिये। ”
राजा ने अनमने मन से उसको बुलवा दिया। इस बार जब बूट्स आया तो राजा ने भी उनकी बातें सुनी।
राजकुमारी ने पूछा — “क्या तुम्हारे पास कोई जादुई टोंटी भी है?”

बूट्स ने फिर वही जवाब दिया — “हाँ है। अगर राजा मुझे अपना आधा राज्य भी दे दें तो भी मैं उसे नहीं बेचूँगा पर अगर तुम मुझसे शादी करने को तैयार हो तो मैं तुमको वह ऐसे ही दे सकता हूँ। ”

राजकुमारी मुँह फेर कर हँसी। फिर उसने अपने पिता की ओर देखा। पिता ने भी अपनी बेटी की ओर देखा तो उसको लगा कि उसकी बेटी इस लड़के को प्यार करती थी।
राजा ने बेटी से कहा — “ठीक है, हम तुम्हारी शादी इस लड़के से कर देंगे क्योंकि इसके पास ऐसी चीज़ें हैं जिनकी वजह से वह हमारे जितना ही धनी है। ”

बस फिर क्या था बूट्स और राजकुमारी की शादी हो गयी। राजा ने अपना आधा राज्य उन दोनों को दे दिया। उसके भाइयों को भिखारियों के टापू पर भेज दिया गया। वे वहाँ उस टापू पर धन का क्या करते क्योंकि वहाँ तो खरीदने को कुछ था ही नहीं।

अगर बूट्स ने मेहरबानी करके कोई नाव उन्हें लेने नहीं भेजी होगी तो हमें यकीन है कि वे लोग अभी भी वहीं होंगे। पर हम आशा करते हैं कि बूट्स ने उन्हें जरूर माफ कर दिया होगा।

पर जब तक वहाँ बूट्स का राज्य रहा उसने और उसकी रानी ने फिर किसी और को उस टापू पर नहीं भेजा।

(सुषमा गुप्ता)

  
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साभारः लोककथाओं से

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1 Comments

Shrishti pandey

17-Dec-2021 07:35 AM

Nice

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